शिमला, वन विभाग के अधिकारियों के साथ प्रदेश में ईको-टूरिज्म की संभावनाओं एवं ईको-टूरिज्म को विकसित करने संबंधी बैठक की अध्यक्षता करते हुए वन मन्त्री राकेश पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ईको-टूरिज्म की अपार सम्भावनायें है। तथा प्रदेश के वन्य क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा प्रदान कर प्रदेश के राजस्व में भी वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के समय में राज्य सरकार पर्यटन की दृष्टि से आधारभूत ढांचे को तैयार करने पर विशेष बल दे रही है। उन्हांेने कहा कि वन्य ईको-टूरिज्म का प्रचार वेब पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक लोगों को प्रदेश के वन्य पर्यटन स्थलों की जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। वेब पोर्टल के माध्यम से विभाग के विभिन्न प्रकाशनों द्वारा लोगों को प्रदेश की समृद्ध वन संपदा की जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के दुर्गम स्थानों पर स्थित वन विश्राम गृहों के समीप पर्यटकों के लिए टैन्टों की सुविधा उपलब्ध करवाकर ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा।
राकेश पठानिया ने कहा कि प्रदेश के गांवों में ईको-टूरिज्म कैम्पिंग गांव की संभावनाओं को तलाश कर उन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। विभाग द्वारा वन्य गंतव्य स्थलों का उपयोग कर बर्ड वाचिंग, टैªकिंग इत्यादि विभिन्न गतिविधियांे से स्थानीय लोगों को जोड़ा जाएगा, जिससे उनकी आर्थिकी सुदृढ़ होगी। वन मन्त्री ने विभाग के अधिकारियों को प्रदेश की झीलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव वन संजय गुप्ता, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन अजय कुमार, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्य प्राणी डाॅ. सविता एवं अतिरिक्त मुख्य अरण्यपाल ईको-टूरिज़्म डाॅ. संजय सूद भी उपस्थित रहे।
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